माँ
A hindi poem for mother
सो सका सुख से, जिसमे मेरा मन,
तेरी गोद जैसे, फूलो का आसन !
दुःख समेट लेता, तेरा ये आंचल
आशीषों का भण्डार, और मेरा संबल !
आशीषों के इस झरने मे, डूब डूब ही जाऊ
ध्रुव की अचल शिला सी, पदवी कोई पाउँ !
अनजाने मे कभी, ऐसा ना हो जाये
मैं मस्त रहुँ ठहाकों में, और तु रो जाये !!
तेरी आँख का एक बुंद, होगा मेरे लिये प्रलय
तेरी खुशी की खातिर, हो मेरा सर्वस्व निलय !
तेरी कठिन तपस्या से ही, है मेरा अस्तित्व यहाँ
एक – एक बुँद से तूने, रच दिया मेरा ये जहाँ !
इस देह के रोम-रोम पर, है अधिकार तुम्हारा
सारे नाते झुठे जग के, तु ही मेरा सहारा !
धन्य हुआ मै तुमको पाकर, इसीलिये इतराता
हर जनम मे हे ‘शारदे’, आशीष तुम्हारा पाता !!
हो पतन मेरा हे माँ, तेरे इस पलकों तले
तेरे इशारे पर ही, मेरा सारा संसार चले !
मै मूढ़, अज्ञानी, अदना, दे सकता हूँ तुमपे जाँ
तब गर्व से ‘बेटा’ कहना, मेरी अराधना, तु हे माँ !!
To Sharda.
राम अग्रवाल ‘मनु’

